सीएम योगी ने कहा- विज्ञान की सीमा जहां खत्म होती है संस्कृत की सीमाएं वहां से शुरू होती है
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संस्कृत भारत के डीएनए में बसी है। अब यह पुरोहित कार्य तक सीमित है। विज्ञान की सीमा जहां खत्म होती वहां से आगे का मार्ग संस्कृत प्रशस्त करता है। भारतीयकरण नहीं करने से विद्या कमजोर हुई है।
संस्कृत भारती की ओर से आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी का समापन रविवार को निवेदिता शिक्षा सदन स्कूल महमूरगंज में बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री ने किया। संस्कृत भारत समर्थ भारत विषयक इस संगोष्ठी में देश भर से 700 से अधिक संस्कृत के विद्वतजनों का मुख्यमंत्री ने स्वागत एवं अभिनंदन किया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने संस्कृत भागीरथी स्मारिका का विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को समझना है तो हमें संस्कृत को समझना होगा। विश्व मानवता का कल्याण भारत की धरती से होगा। संस्कृत पाठशालाओं को देखने पर चिंता होती है। 2001 में संस्कृत परिषद का गठन किया गया लेकिन फाइल दब गई थी। 17 वर्ष बाद जब मैं आया तो इस फाइल को आगे बढ़ाया। संस्कृत संभाषण कार्यक्रम कराएं।
ड्रोन जैसे विमान का जिक्र हमारे शास्त्रों में
1960 में रूस ने चंद्रमा पर यान भेजकर कहा था कि वहां जल नहीं है। जबकि भारतीय गणना के आधार पर हजारों साल से बता रहा है कि चंद्रमा जलकारक है। 2007 में जब दोबारा चंद्रमा पर यान गए तो उन्होंने कहां चंद्रमा पर जल है। विमानन शास्त्र का जिक्र हमारे यहां सदियों से है। जो आज साबित हो रहे हैं। बगैर पायलट के विमान का जिक्र किया गया है। ड्रोन उसी का प्रतिरूप है।
मुख्यमंत्री का स्वागत कर अध्यक्षता कर रहे संस्कृत भारती के अध्यक्ष डा. भक्तवत्सल ने पेन ड्राइव भेंट की। मंच पर राष्ट्रीय महामंत्री श्रीशदेव पुजारी और लोक कल्याण न्यास के अध्यक्ष डा. डीपी सिंह मौजूद रहे। अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत ने संगठन के क्रियाकलापों के बारे में बताया।
मुख्यमंत्री से संस्कृत में बच्चों ने की बात
मुख्यमंत्री के सामने देश भर से आए संस्कृत गृहम के 40 परिवारों के बच्चों ने संस्कृत में वार्तालाप और भाषण किया। इससे प्रभावित होकर आशीर्वाद लेने पहुंचे बच्चों के सिर पर मुख्यमंत्री ने हाथ फेरा और प्यार से पूछा कहां से आए हो क्या नाम है। बच्चों ने संस्कृत में ही जवाब दिया।
कुंभ के छह लाख गांव और 192 देशों को भेजा न्योता
मुख्यमंत्री ने कहा कि योग की परंपरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व में स्थापित किया। 21 जून को 192 देशों ने इसे आत्मसात किया। इसी प्रकार हजारों वर्ष से चली आ रही कुंभ को प्रयागराज में अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का रूप दिया जा रहा है। यह आयोजन केवल प्रयागराज यूपी या भारत का नहीं बल्कि पूरे विश्व का होगा। छह लाख गांवों और 192 देशों को आमंत्रण भेजा जा रहा है। इस बार 12 से 15 करोड़ श्रद्धालु आएंगे।.