जे. एन्. यू. में पहली बार संस्कृत युवा महोत्सव का हुआ आगाज़
*जे. एन्. यू. में पहली बार संस्कृत युवा महोत्सव का हुआ आगाज़*
संस्कृत भारती और जे. एन्. यू. के संस्कृतप्राच्यविद्याध्ययन संस्थान के संयुक्त तत्त्वावधान में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ही Convention Centre में संस्कृत युवा महोत्सव 2018 का भव्य आयोजन किया गया। जहाँ देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों व गुरुकुलों के युवा संस्कृत छात्र छात्राओं ने उत्साह के साथ संस्कृत प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। इन प्रतियोगिताओं में पांच सौ से अधिक छात्रों की उपस्थिति नें इस आयोजन के उद्देश्यों की सफलता सुनिश्चित की।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता
उद्घाटन समारोह के मुख्य वक्ता *संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संघटन मन्त्री श्रीमान् दिनेश कामत* नें इस मौके पर अपने वक्तव्य द्वारा वैश्विक परिदृश्य में संस्कृत की वर्तमान स्थिति स्पष्ट की। साथ ही उन्होंने इस भाषा के व्याकरण की उत्कृष्टता को कई रोचक उदाहरणों के साथ समझाया और वैश्वीकरण के इस युग में संस्कृत के विशेष प्रचार की आवश्यकता पर जोर दिया।
*जे. एन्. यू. के कुलसचिव प्रमोद कुमार* ने संस्कृत के स्वर्णयुग के पुनः आगमन की कामना करते हुए शिक्षा व्यवस्था में संस्कृत को युगानुरूप नए स्वरूप में ढाले जाने पर जोर दिया। संस्कृत के प्रचार प्रसार में संस्कृत भारती के कार्यों की प्रशंसा करते हुए जे. एन्. यू. द्वारा यथासम्भव सहयोग देने का सङ्कल्प व्यक्त किया।
संस्कृत प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान के आचार्य हरिराम मिश्र ने इस कार्यक्रम को आयोजित करने के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए यह कहा कि संस्कृत के विविध आयामों से आधुनिक समाज का हर वर्ग परिचित हो यह अत्यावश्यक है। यह इस सन्दर्भ में और भी महत्त्वपूर्ण है हो जाता है जब हमें भारतीय संस्कृति की आत्मा के रूप में संस्कृत को सदैव सिद्ध करने की जरूरत आ पड़ती है।
संस्कृत भारती के प्रान्ताध्यक्ष प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन द्वारा संस्कृत शास्त्रों को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए सरल संस्कृत के अध्ययन तथा सम्भाषण के महत्त्व को स्पष्ट किया। सत्र का संचालन कार्यक्रम संयोजक सुशील कुमार जी (महाविद्यालय-छात्र-प्रान्तप्रमुख संस्कृतभारती) नें किया।
संस्कृत युवा महोत्सव की एक बड़ी विशेषता संस्कृत विज्ञान प्रदर्शनी वस्तु प्रदर्शनी और अनूदित संस्कृत पुस्तकों की प्रदर्शनी रही।
प्रातः 10:00 बजे उद्घाटन सत्र का आरंभ हुआ उसके अनन्तर एक साथ 9 रोचक स्पर्धाओं का आरंभ हुआ जिनमें पोस्टर मेकिंग (चित्रलेखन) क्रिएटिव राइटिंग( रचनात्मक लेखन) एक्स्टेम्पोर स्पीच (सद्य: भाषण) नाट्य स्पर्धा आदि प्रमुख रही।
तदनन्तर ऐसे प्राशासनिक अधिकारियों / पत्रकारों के साथ छात्रों का संवाद सत्र आयोजिन हुआ जिन्होंनें संस्कृत को पढ कर अन्य क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित किया । जिसमें मीडिया क्षेत्र के नवीन जी जिन्होंने क्राइम इन्वेस्टिगेशन में अपना कीर्तिमान स्थापित किया। IRS सौरव शर्मा दिल्ली विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव डॉ ज्वाला प्रसाद रहे। छात्रों के प्रश्नों का समाधान करते हुए सभी ने एक स्वर में संस्कृत के छात्रों का उत्साहवर्धन किया और कहा कि आप सभी अद्वितीय हैं आप अपनी मेधा को पहचानिए। अवसर पर अध्यक्षता संस्कृतभारती दिल्ली के प्रान्तमन्त्री श्री कौशल किशोर में की। मञ्चसंचालन du के शोधकर्ता श्याम सुन्दर नें किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों नें सबका मन तब मोह लिया जब संस्कृत में गरबा राजस्थानी लोक नृत्य देखा। शिवतांडव स्तोत्र पर योगासन प्रदर्शन अद्भुत रहा।
समारोह का समापन सत्र सायं 5:00 बजे शुरू हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में संस्कृत के प्रति समर्पित सीवान के सांसद ओम प्रकाश यादव रहे उन्होंने अपने वक्तव्य में संस्कृत अन्य भाषाओं की जननी है एवं जिस प्रकार हम अपनी माता के विषय में कितना भी कहें कम है वैसे ही हम संस्कृत के विषय में जितना भी कहे कम होगा। मा. सांसद नें अपने वक्तव्य का शुभारंभ संस्कृत भाषा में ही किया जिसे सुन युवा आह्लादित हो उठे। समापन सत्र के मुख्य वक्ता संस्कृतभारती के उत्तर क्षेत्र संगठन मंत्री श्रीमान जयप्रकाशगौतम रहे संस्कृत के क्षेत्र में किए जा सकने वाले कार्य उनके द्वारा बताए गए कैसे हम संस्कृत का प्रयोग अपने नित्य जीवन में लाएं। जयप्रकाश जी ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि संस्कृतभारती का काम राजनीति नहीं अपितु पठन पाठन मात्र है जो भी व्यक्ति संस्कृत के प्रति चिंतन करता है वह संस्कृतभारती के लिए अपना है और ऐसे लोगों के लिए संस्कृतभारती हमेशा तत्पर रहेगी। सत्र की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के राणा प्रताप सिंह जी (डीन छात्र कल्याण) ने की जिन्होंने कार्यक्रम की सफलता के लिए सबको धन्यवाद भी दिया और संस्कृत के प्रति अपने विचार व्यक्त की इस अवसर पर संस्कृत भारती दिल्ली के प्रांताध्यक्ष ने सभी छात्रों को शुभकामनाएं दी एवं प्रतिस्पर्धियों में परिणाम हेतु आशीर्वाद दिया। पुरस्कार वितरण के अनन्तर JNU के वरिष्ठाचार्य प्रो. उपेन्द्र राव नें सभी का छन्दो बद्ध संस्कृत कविता में धन्यवाद दिया।.