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Samskrita Bharati - Jharkhand
संस्कृतभारती - झारखण्ड
संस्कृतभारती-झारखंड-प्रान्तः

झारखंडप्रान्ते भवतां स्वागतम् अस्ति ।

झारखण्ड यह राज्य ईसवी सन २००० में बिहार से अलग हुआ | झारखण्ड यह शब्द झाड़ + खण्ड इन दो शब्दोंके संयोग से बना है | झारखण्ड और बिहार में ड वर्ण का उच्चारण र किया जाता है | झाड़ यानि पेड़ | झारखण्ड यानि पेड़ोंका भूभाग अर्थात् वनप्रदेश | झारखण्ड के भौगोलिक क्षेत्र का २४% हिस्सा वनक्षेत्र है | यहाँ की जनसंख्या में २७% जनजातीय लोग है | इनमे मुंडारी संथाल उराव हो खडिया इत्यादि जनजातीया है | इस प्रान्त में २४ जिले है जिनमे लोहरदग्गा छोड़कर अन्य सभी जनापदोंकी सीमाए अन्य प्रदेशोंसे सटी है | इस कारण उन-उन प्रदेशोंकी भाषाओंका परिणाम सटे हुए जनपद की भाषा पर है | अतः झारखण्ड में हिन्दी बांग्ला उर्दू उडिया भोजपुरी मैथिली मगही मुंडारी उराव संथाली नागपुरिया पंचपरगनिया इत्यादि भाषाए बोली जाती है |
जनजातीय लोग प्रकृति पूजक है | उनके उपासना स्थल में पेड़ रहते है जिसे वे सरना स्थल कहते है | कुछ ने इसाई संप्रदाय अपना लिया है | किन्तु बहुसंख्य हिन्दू है |
झारखण्ड के भूमि में वनसंपदा के साथ साथ खनिज संपदा भी है | यहाँ यूरिया आयरन बोक्साईट कोयला अभ्रक इत्यादि खनीज द्रव्य पर्याप्त मात्रा में है | अतः खुछ क्षेत्रो में औद्योगीकरण हुआ है | जमशेदपुर (टाटा नगर) में स्वातंत्र्यपूर्व काल से बडे बड़े कारखाने लगे है | उसके साथ-साथ Ancillary उद्योग आदित्यपुर में लगे | धनबाद तो कोयले के व्यापार की सबसे बड़ी मंडी है | बोकारो में SAIL इस सरकारी समवाय का स्टील का कारखाना है | रांची में HEL भी भारत सरकार का बड़े बड़े यन्त्र बनाने का कारखाना है |
यहाँ जमशेदपुर धनबाद रांची बोकारो ये चार महानगर है | देवघर पारसनाथ तथा रामगढ़ जिले में छिन्नमस्तिका (काली) का मंदिर ये यात्रा स्थल है | देवघर में बाबा बैद्यनाथ (शंकर) का मंदिर है | गंगा का जल महादेव पर चढाने के लिए श्रावण मास में कावड़ यात्रा होती है | पारसनाथ में जैनोंके तीर्थंकर पार्श्वनाथ की पहाडी के चोटी पर तपस्या स्थली है | काली राक्षसोंका का संहार करने के बाद भी शांत नहीं हो पा रही थी | अतः शंकर स्वयं नीचे लेट गये और काली का चरण उनके वक्षस्थल पर पडा | इस अक्षम्य कृत्य के कारण काली ने स्वयं अपना सर काटा इसलिए इस काली के स्वरुप को छिन्नमस्तिका कहते है | यहाँ दामोदर नद नीचे बहता है और भैरवी नदी ऊपर पहाडी से जलप्रपात के रूप में दामोदर नद में समा जाती है | इस संगम स्थल पर काली माँ का मंदिर है |
झारखंड वनप्रदेश होने के कारण प्रदूषण रहित है | यहाँ दामोदर नद स्वर्णरेखा कोयल और बराकर यह प्रमुख नदिया है | स्वर्णरेखा के बालू में स्वर्ण के कण प्राप्त होते है | रांची और हजारीबाग यह दोनों स्थान ठंडे है | बंगाल के जमीदारोंने झारखण्ड के रेल मार्ग पर पड़ने वाले नगरोंमे कोठियाँ बनाई हुई है और ग्रीष्म काल में जब अंग्रेज दार्जिलिंग जाते थे तो ये देशी धनिक झारखण्ड में ग्रीष्म काल बिताते थे |

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